मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ


मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ

जहाँ नीर नही अमृत पिया जाता ,
जहाँ इंसान नही भगवान जन्मता ।

वहाँ हवा नही केसर महकती ,
वहाँ मिट्टी नही चंदन ही चंदन ।

मैं धरती का टुकड़ा नही पारस हूँ ,
मैं जगतगुरु था जगतगुरु रहूँगा ।

भारत में दीप नही अमरज्योति प्रज्वलित हैं ,
भारत ज्ञानी नही , विश्व का माता-पिता हैं ।

livepustak.blogspot.com

मैं हूँ , राहुल विश्वकर्मा । Live Pustak में आपका स्वागत हैं । आपको किसी subject पे कोई कविता लिखवानी हो तो हमें subject भेजिए । हम आपको लिखकर निःशुल्क भेजेंगे ।

टिप्पणियाँ