मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ
जहाँ नीर नही अमृत पिया जाता ,
जहाँ इंसान नही भगवान जन्मता ।
वहाँ हवा नही केसर महकती ,
वहाँ मिट्टी नही चंदन ही चंदन ।
मैं धरती का टुकड़ा नही पारस हूँ ,
मैं जगतगुरु था जगतगुरु रहूँगा ।
भारत में दीप नही अमरज्योति प्रज्वलित हैं ,
भारत ज्ञानी नही , विश्व का माता-पिता हैं ।
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