✍आज भी पारस पत्थर हैं ✍

✍आज भी पारस पत्थर हैं ✍
मध्यप्रदेश के हरदा जिले से 20 किलोमीटर दूर गोंदागाँव गंगेसरी एक गाँव हैं , वहाँ नर्मदा नदी के किनारे एक शिव मंदिर हैं । उस शिव मंदिर में माँ पार्वती जी की मूर्ति हैं ,वह पारस पत्थर की थी । उस मूर्ति से लोहा टकराते तो , लोहा सोना बन जाता था । अंग्रेजों को पता चल गया , कि यह मूर्ति पारस की हैं । उन्होंने रातो रात उस मूर्ति को चोरी कर , हूबहू पत्थर की मूर्ति मंदिर में रख दी । लेकिन जब वो पारस मूर्ति चोरी कर ले जा रहा था , तो नाव में बैठे अंग्रेज़ के हाथ से वह मूर्ति फिसल कर गोंदागाँव गंगेसरी नर्मदा में गिर गई । उसने अंग्रेज़ सरकार को यह बीती सुनाई , तो अंग्रेज सरकार ने नर्मदा में पारस खोजा था । उन्होंने हाथी के पैरों में लोहे की जँजीर बांधकर , नर्मदा में घुमाया लेकिन वो पारस मूर्ति नही मिली ।

आज विज्ञान का युग हैं , अगर विज्ञान से पारस पत्थर को समझे । तो लोहे के जो अणु हैं , उन अणुओ को गोल्ड के अणु में बदलना होता हैं ।यह बहुत ही कठिन और खरनाक अभिक्रिया होती हैं , इस क्रिया को हिमालय के योगी ही जानते हैं ।
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