✍दुनिया का सबसे प्राचीन और चमत्कारी मंदिर ✍

✍दुनिया का सबसे प्राचीन और चमत्कारी मंदिर ✍
आज हम जिस शिव मंदिर की बात रहे है , वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एलोरा पर्यटन स्थल पर हैं । यह मंदिर जैसा दुनिया मे एक ही हैं ,मंदिर निर्माण काल राजा नरेश प्रथम का काल माना जाता हैं ।

1. यह शिव मंदिर एक ही पत्थर में बना हुआ है , एक पहाड़ को ऊपर से निचे काट कर बनाया गया हैं । माना जाता हैं इस मंदिर को बंनाने में जो टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया हैं , वह टेक्नोलॉजी आज के युग से बहुत आगे थी ।

2. मंदिर की लंबाई 176 फ़ीट , चौड़ाई 154 फ़ीट और गहराई 90 फ़ीट हैं । इतनी बड़ी चटान को मंदिर का रूप देना बहुत जटिल प्रक्रिया हैं ।

3. मंदिर निर्माण में 40 हज़ार टन पत्थर को उस चटान से हटाया गया हैं , ओर एक बात यह भी हैं यह पत्थर बहुत ही कठोर पत्थरो में गिना जाता हैं ।

4. इस मंदिर की आयु का कोई पका अनुमान नही हैं , और इस मंदिर का निर्माण 200 साल में 7000 मूर्तिकरो ने किया |

5. मंदिर में जो कलर किया गया हैं , वह हज़ारो सालो से आज भी नही निकला क्योकि यह कलर फूलो के रस से बना है ।

6. इस मंदिर को मुश्लिम शासको ने बहुत तोड़ने की कोशिश की फिर हर गये , क्योकि यह पत्थर तोड़ना बच्चों का खेल नही है ।

7. कैलास मंदिर को किसने बनाया , कैसे बनाया ? 
इस प्रश्न का उत्तर आधुनिक विज्ञान के पास नही हैं ।

लेकिन livepustak के पास इस प्रश्न का उत्तर हैं , यह मंदिर वैदिक काल मे बना था । और वैदिक काल मे सभी समस्याओं का समाधान सिर्फ वैदिक मंत्रों से हो जाता था । वैदिक मंत्रों के प्रयोग से पत्थर को जाग्रत किया जाता था , जाग्रत अवस्था मे पत्थर रबर जैसा हो जाता था । फिर जाग्रत पत्थर को मनचाहा शेप दे कर , फिर से वैदिक मंत्रों से पत्थर की सही अवस्था मे लाते थे । और इस मंदिर का निर्माण इसी वैदिक टेक्नोलॉजी से हुआ है ।

जैसे रामायण में वर्णित पुष्पक विमान जो फ्री एनर्जी से चलता था , उसे उड़ाने के लिए वैदिक ग्रंथ "वेग वाहिनी " का प्रयोग होता था । आज भी वो मंत्र हैं , लेकिन उस काल का गुरुत्वाकर्षण बहुत ही पॉवरफुल था ।

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