✍दुसरो के मन की बात कैसे जाने✍
हर इंसान के दो रूप होते है , एक जो दिखता हैं दूसरा जो छुपा होता हैं ।
जो रूप इंसान दिखता हैं , वो झूठा होता हैं ।
जो रूप इंसान छुपाता हैं , वो सत्य होता हैं ।
किसी भी इंसान के मन की बात जानना हैं , तो उसकी भाषा , भाव और इशारे पर बहुत ही ध्यान दीजिये उसके ज्ञान पर बिल्कुल ध्यान मत दीजिए । आप ध्यान दीजिए , उसकी भाषा में कितना नकारात्मक भाव ओर सकरात्मक भाव हैं ।
क्योकि इंसान की भाषा के भाव संबंध आत्मा से होता हैं , इंसान बाते बनावटी बना सकता हैं लेकिन भाव नही ।
किसी से बात करते समय धैर्य देखो , कि सकारात्मक भाव में कितने समय टिक सकता हैं ।फिर इन्शान के इशारे , शब्द और सोच में नकारात्मक देखिए ।
सोच , शब्द और इशारे में नकरात्मकता देखने के बाद देखिए इस काम में सामने वाले का क्या स्वार्थ हैं ।ओर फिर मस्तिक मंथन कर ऐसा रास्ता ढूँढ़ो , कि सामने वाला आपकी सोच पकड़ नही पाये ।ये आपकी कूटनीति हैं , जो आपने सामने वाले के सभी दरवाजे बंद कर दिए ।
जो रूप इंसान दिखता हैं , वो झूठा होता हैं ।
जो रूप इंसान छुपाता हैं , वो सत्य होता हैं ।
किसी भी इंसान के मन की बात जानना हैं , तो उसकी भाषा , भाव और इशारे पर बहुत ही ध्यान दीजिये उसके ज्ञान पर बिल्कुल ध्यान मत दीजिए । आप ध्यान दीजिए , उसकी भाषा में कितना नकारात्मक भाव ओर सकरात्मक भाव हैं ।
क्योकि इंसान की भाषा के भाव संबंध आत्मा से होता हैं , इंसान बाते बनावटी बना सकता हैं लेकिन भाव नही ।
किसी से बात करते समय धैर्य देखो , कि सकारात्मक भाव में कितने समय टिक सकता हैं ।फिर इन्शान के इशारे , शब्द और सोच में नकारात्मक देखिए ।
सोच , शब्द और इशारे में नकरात्मकता देखने के बाद देखिए इस काम में सामने वाले का क्या स्वार्थ हैं ।ओर फिर मस्तिक मंथन कर ऐसा रास्ता ढूँढ़ो , कि सामने वाला आपकी सोच पकड़ नही पाये ।ये आपकी कूटनीति हैं , जो आपने सामने वाले के सभी दरवाजे बंद कर दिए ।
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