।। जाग हिन्द ,भाग हिन्द , तेज़ भाग ।।

 जाग हिन्द ,भाग हिन्द , तेज़ भाग 

जवान भारत-
जहाँ वेद पढ़े जाते थे , जहाँ पैर छुए जाते थे ।
वो संस्कृति कहा गयी ,वो गुरूकुल कह गये ।
जो भगत सिंह का तेज़ ,कहा साधू-संतो का भेष ।
वह गंगा कहा रही चंगा ,भागीरथ जैसा कहा संगा ।
बच्चा भारत-
कहा संध्या घंटी की धुन ,साफ नही दुनिया का मन ।
खेत मे कजरी गीत नही ,हम कहने वाला मीत नही ।
आँगन में गौरैया चहक नही , बारिश में कोयल गीत नही ।
ढली शाम थकान नही थी , भली दाम मकान में नही थी ।
बूढ़ा भारत-
विदेशी संस्कृति के आदि , भूल गये दर्द की आजादी ।
स्वदेशी में किसान मरे ,फिर क्यों विदेश खरीदी करे ।
सिंह से लड़े हमारे पूर्वज , हम चीटियों से डरे क्यो ।
वो हमारे भारत में घुसे , हमने उन्हें क्यो माफ़ किया ।
आने वाला भारत-
भारत को जवां रखना चाहते हो , तो कमर काश लो  ।
बहुत हो गई गदारी , दुश्मन को कफन में काश लो ।
शांति शब्द भूल जाओ , चोरो को फाँसी लटकाओ ।
क़ानून की धारा भूलो , औऱ लुटेरो को बारूद ढेरों ।
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