।।पवन बड़ी चातुर भयी।।
।।पवन बड़ी चातुर भयी।।
जोगन चुंदडी री आड़ में , दीयो लाई हाथ छूपाय ।
माटी दिप में बाती भयी , रुई जोत करे प्रकाश ।
हल्की सी पवन चली , चुंदडी लहरि लहर बनी ।
आँच लगी जोगन हाथ , बिचकि जोत बुझ गई ।
जोत बुझी अप्सुगन हैं , जोगन करे पिया याद ।
प्रीतम की फिकर करे , जोगन हद तक निराश ।
जू पी की मधू सुनी , झूमि गई बाथ में लगाय ।
पिया-जोगन हृदय मिले , प्रेम के आँसू बहे रोय ।
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