✍वो हैं, परछाई ✍

                   ✍वो  हैं, परछाई ✍

सूर्य की दिन में साथी , चंद्रमा की रात में साथी , रात-दिन वह मेरी साथी–वो  हैं, परछाई।
सूर्य उदय पर अति विकराल , सूर्य मध्य पर छोटी सी लाल , सूर्य अस्त पर विपरीत विकराल–वो  हैं, परछाई।
में खेत मे पगडण्डी पर चलता , वह मेरे पीछे काटे की बागुड़ पर चलती , फिर भी साथ नही छोड़ती–वो  हैं, परछाई।
हस्ता हूँ तो वह हस्ती हैं, रोता हूँ तो वह रोती हैं,गाता हूँ तो वह गाती हैं–वो  हैं, परछाई।
मेरे साथ आई थी , मेरे साथ रही थी ,मेरे साथ गई थी–वो  हैं, परछाई।
मुझे शाम सुलाती , मुझे सुबह खिजती , मुझे धूप में चिढ़ाती–वो  हैं, परछाई।
मैं कुछ भी करता , तो वह भी वही करती , वोहैं नकल की खाई–वो  हैं, परछाई।
मैं उसका जीवन का साथी , वह मेरे जीवन की साथी , वो हैं दोस्ती की तन्हाई–वो  हैं, परछाई।
मेरे जन्म से लेकर ,मेरे मरने तक कि हैं, वो ढूंढने आई साथी–वो  हैं, परछाई।
मैं हूँ गोरा , तो वह हैं काली ,फिर भी हैं वो चतुराई–वो  हैं, परछाई।
मेरा काम अकल , उसका नाम नकल , अंतर सिर्फ रंग का हैं–वो  हैं, परछाई।
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