✍भगवान का संस्करण✍

✍भगवान का संस्करण✍

मुझे दो पानी की बून , अमृत नही जूनून ।

मुझे दो भोजन का मान , मेवज़ नही बखान ।

मुझे दो जीवन का गान , मृत्यु नही मगान ।

मुझे दो स्वर्ग की शान , नरक नही भगवान ।

मुझे दो हरि तुम ज्ञान , अज्ञान नही सुजान ।

अब में क्या माँगू ध्यान,ना मालूम मुझे सब ज्ञान।
Livepustak.blogspot.com
आप ऐसी ही कविताएँ पसंद करते हो , तो Google पे
Livepustak.blogspot.com  लिखकर search
कीजिये ।


Livepustak सिर्फ कविताएँ लिखकर आपका मनोरंजन ही
नही करती हैं , देश की समस्याओ की और इशारा करती हैं ।


अगर आपको लगता हैं , कि इस समस्या पे Livepustak ने कविता नही लिखी हैं ।
तो आपका topic हमें comment में भेजिए ।


मैं मानता हूँ ,कि आप राष्ट्र से बहुत प्रेम करते हों । फिर भी आपकी कोई बात नहों सुनता हैं ।

"आप गलत नही , सिर्फ अकेले हो "

तो आपके जैसे बहुत लोग livepustak से जुड़े हैं , आप भी जुड़िये ।
और आपके आसपास की समस्या हमें भेजिए ।

हम आपकी बात प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने में मदद करेंगे ।
आपने livepustak को इतना प्यार दिया, कि आज बहुत कम समय में 1000  क्लीक हो गये ।
     
                              " धन्यवाद "
                   livepustak.blogspot.com


टिप्पणियाँ