✍माँ का दर्द ✍

✍माँ का दर्द ✍
नो महीने पेट में , वजन ढ़ोया ।।
ज़िन्दगी भर गौद में , भीें सोया।।
मरने के बाद फिर राख , को रोया।।
तुमने माँ को कभी , पलभर ढोया।।
जिसने खुद को तकलीफ, में खोया।।
तुम्हारे लिए प्यार का ,बीज बोया।।
 तूने माँ के दर्द को , कभी रोया।।
खुद थाली में रोटी छोड़, भूकी उठी।।
तुमने माँ को डाटा फ़िर भी ,ना रूठी।।
माँ से ईस्वर की महिमा भी , भी छोटी।।
अरे! माँ की सेवा कर , तूने पारस ऱज़ लूटी।।  Livepustak.blogspot.com
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