✴रसराज✴

✴रसराज✴
मैली चादर ओढ़ के कोई गुनगुना रहा हैं ।
हवा के झोंक सेे चादर में गीत भी लहराये ।
ऐसे गम तोड़ रह हो , जैसे असमा से चाँद सितारें ।
मुझे इतना ना बिखेरो ,कि कभी ना जुड़ पाऊँ ।

मेरा दिल गीत गाने वाले मीत को ढूंढ रहा हैं ।
ऐसी धुन गूंज रही जैसे पहाडों में कोयलिया ।
बारिश की ताल पे , कोयल के मीठे गान से ।
मोर नयन से आँसू गिरे फिर भी कमर ठुमकाये ।

तोता-मैना , गोरिया झूम रहे गुलाब के बागान में ।
चकवा चकवी गले मिले जैसे दो तन एक मन हो ।
मेरी मुस्कान का राज है , कि कलिया शर्माये ।
मेरे गम मुझसे पूछ रहे हो , जैसे हँस से बेबफाई ।
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