✴ग़ज़ल की ना सुनो✴
✴ग़ज़ल की ना सुनो✴
ग़ज़ल की ना सुनो , वो बहुत कुछ कहती हैं ।
गुलाब की कलियाँ , दिल टूटे तो रोती हैं ।
हँस-हँस जब बिछड़े , तो जान निकल जाती हैं ।
एक हंस बिछड़ने की सजा , दोनो को होती हैं ।
इश्कबाज से पूछो , दिल टूटना क्या होता हैं ।
इश्क़ की दौलत का , खजाना लूटना क्या है ।
इश्क का ज़िक्र करना, दिमाग की औकात नही ।
क्योकि इश्कस्याही , दिल की जुबानी होती हैं ।
दो दिल तोड़ना , धमकियों के बस की बात नही ।
दिल से इश्क करने वाले , मौत से भी नही डरते ।
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