✴जिम्मेदारी✴

✴जिम्मेदारी✴
देश की सेवा कर्ज नही , हमारा फ़र्ज़ हैं ।
दुःखी की  मदद खर्च नही , मेरा दर्द है ।

मैंने सिर पर देश की जिम्मेदारी ली
बायें कंधे पे परिवार की जिम्मेदारी ली
दायें कंधे पर धर्म की जिम्मेदारी ली
संस्कारो पर चलने की जिम्मेदारी ली

आज देश के लिए लड़ता जा रहा हूँ ।
प्यारे तिरंगे में लिपट कर जा रहा हूँ ।
दो दिन की ज़िंदगी को वतन के नाम ।
कल फिर वापस लड़ने आ रहा सलाम ।
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