✴सोने की चिड़िया , छू रही गगन ✴
✴सोने की चिड़िया , छू रही गगन ✴
जो लुटेरे भारत को लूटने वाले थे ,
वो लुटेरे आज खुद ही लूट गये ।
वो पैर से सिर तक का जोर लगा रहे ,
फिर भी हिंदू सिंह जैसे आगे बढ़ रहे ।
लुटेरो का जमाना , लूट लिया गधारो ।
आज भारत दहाड़ा , रोते रहो गलियारों ।
जिन चोरो ने ,देश वासियों को भूखा मारा ।
वो गधार भारत में ,आज भूखे मर रहे है ।
गधारो के जमाने में , ईमानदार मर रहे थे ।
ईमान के जमाने में , गधार फाँसी लटक रहे ।
कौओ तुम्हारी औकात पेड़ पर उड़ना हैं ।
फिर से सोने की चिड़िया गगन छू रही हैं ।
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