✴मेरी माँ✴
✴मेरी माँ✴
गऊ ही राम हैं, यही मुक्तिधाम हैं ।
गौ सेवा में , जग का कल्याण हैं ।
गाय जगत की जान , मूल्यवान हैं ।
उसकी आँखों में प्रेम का , सागर हैं ।
गऊमुख में माँ शब्द का , गुणगान हैं ।
गौ मूत्र के पान में , अमृत सुगंध हैं ।
गाय के गोबर में , लक्ष्मी का धाम हैं ।
गऊ के प्रेम के, श्रीकृष्ण भी दीवाने हैं ।
गौ दूध , माखन , और मेवा पकवान हैं ।
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