✴यें अफ़वाहें फ़ेल रही थी ✴
✴यें अफ़वाहें फ़ेल रही थी ✴
जो कहने की नही थी , वो बात गजब फैल रही हैं ।
माला में गुलाब गुथते थे , दुनिया काटे गुथ रहे थी।
इसरा काफी था , लेकिन वो इतिहास मख रह हैं ।
गुलाब नदी में नहाने गया , तो नदी ने नग्न देखा ।
गुलाब ने सोचा नदी में मेरी सुगंध फैल रही हैं ।
लेकिन बीच नदी में गुलाब की इज़त लूट रही थी ।
गुलाब नदी में बादशाह जैसे नहाने उतरा ही था ।
नदी की धार में गुलाब की इज़त लूट रही थी ।
गुलाब ने कहा वह री नदी तूने क्या गधारी की हैं ।
मैं नहाकर आई तूने अफवाह के ढ़ेर लगा दिए ।
एक जमाना था जब मंदिरो में गुलाब चढ़ते थे ।
आज देखो हाथ जोड़कर काटे भी चढ़ रहे है ।
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