✍ सोने की चिड़िया ,बारूद भाव ना बेचो ✍

✍ सोने की चिड़िया ,बारूद भाव ना बेचो ✍

तुम स्वंय ही दुश्मन को पैसा देकर , मरने के लिए बारूद क्यों मांग रहा हो ।

देश के गरीबो के हाथ से बना तिरंगा छोड़ , दुश्मन का सारा देश क्यो पल रहा हो ।

एक कोढ़ी की चीज़ो के बदले  तुम , सोने की चिड़िया को बारूद क्यों खिला रहे हो ।

वो हमारे देश का शीतल पानी भी नही पीते , तुम क्यों प्लास्टिक के चावल खा रहे हो ।

अपने बच्चों के लिए खिलौने लेकर ,उनके भविष्य को बारूद में क्यों रौंद रह हो ।

दुश्मन की सौ सस्ती राखी ख़रीद कर , देश की एक महँगी क्यो नही खरीद रहे हो ।

कुछ ज्यादा पैसे को देख नर्मदास्नान छोड़ , निःशुल्क बारूद में क्यों तैर रहा हो ।

चेतावनी हैं ! समझने वाले समझ जा , सस्ता जहर पीकर क्यो मर रहा हो ।
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