✳गर्मी आई-गर्मी आई✴
✴गर्मी आई-गर्मी आई✴
गर्मी आई-गर्मी आई , तोफे में धूप लाई ।
खेलते बच्चों को , घबराकर भगाई ।
कुल्फी - गोले वालो की बहुत कमाई ।
गोरे - गोरे गालों को लाल करने आई ।
नन्हें - नन्हें पेड़ो को , मुरझाने आई ।
तेज होकर पेड़ो से चिड़ियों को , टपकाई ।
गर्मी आई-गर्मी आई , गर्मी आई-गर्मी आई ।
livepustak.blogspot.com
आप ऐसी ही कविताएँ पसंद करते हो , तो Google पे
Livepustak.blogspot.com लिखकर search
कीजिये ।
Livepustak सिर्फ कविताएँ लिखकर आपका मनोरंजन ही
नही करती हैं , देश की समस्याओ की और इशारा करती हैं ।
अगर आपको लगता हैं , कि इस समस्या पे Livepustak ने कविता नही लिखी हैं ।
तो आपका topic हमें comment में भेजिए ।
मैं मानता हूँ ,कि आप राष्ट्र से बहुत प्रेम करते हों । फिर भी आपकी कोई बात नहों सुनता हैं ।
"आप गलत नही , सिर्फ अकेले हो "
तो आपके जैसे बहुत लोग livepustak से जुड़े हैं , आप भी जुड़िये ।
और आपके आसपास की समस्या हमें भेजिए ।
हम आपकी बात प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने में मदद करेंगे ।
आपने livepustak को इतना प्यार दिया, कि आज बहुत कम समय में 1000 क्लीक हो गये ।
" धन्यवाद "
livepustak.blogspot.com
आप ऐसी ही कविताएँ पसंद करते हो , तो Google पे
Livepustak.blogspot.com लिखकर search
कीजिये ।
Livepustak सिर्फ कविताएँ लिखकर आपका मनोरंजन ही
नही करती हैं , देश की समस्याओ की और इशारा करती हैं ।
अगर आपको लगता हैं , कि इस समस्या पे Livepustak ने कविता नही लिखी हैं ।
तो आपका topic हमें comment में भेजिए ।
मैं मानता हूँ ,कि आप राष्ट्र से बहुत प्रेम करते हों । फिर भी आपकी कोई बात नहों सुनता हैं ।
"आप गलत नही , सिर्फ अकेले हो "
तो आपके जैसे बहुत लोग livepustak से जुड़े हैं , आप भी जुड़िये ।
और आपके आसपास की समस्या हमें भेजिए ।
हम आपकी बात प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने में मदद करेंगे ।
आपने livepustak को इतना प्यार दिया, कि आज बहुत कम समय में 1000 क्लीक हो गये ।
" धन्यवाद "
livepustak.blogspot.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें