✴निकल जाओ , गधारो जाओ✴
✴निकल जाओ , गधारो जाओ✴
हमारे घर में पल रहे हो , और हमसे नफरत ।
गधारो यहाँ तुम्हारी बिल्कुल नही , जरवत ।
राष्ट्रगान से तकलीफ , तिरंगे से तकलीफ ।
तो यहाँ रहने से भी , तकलीफ होनी चाहिए ।
मछली को जन्मे आज , चार दिन भी नही हुये ।
और बोल रही हैं , मुझे समुद्र से नफरत हैं ।
मेरा तुम मुँह मत खुलवाओ मुझे सब पता है ।
जमाना बदला जानवर सुधर गये तुम नहीं ।
तुम यहाँ से जा रहे हो , या मैं अभी पहुँचा दू ।
मूर्खो!इंसानियत से जीयो ,या फिर मर जाओ ।
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" धन्यवाद "
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