✴उठो! माँ मेरी विजय के लिए तिलक करो✴
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मैं युद्ध में जा रहा हूँ , कोई क्रीड़ने नही ।
मैं हथियार माँगता हूँ , खिलौने कभी नही ।
मैं तिलक की कहता हूँ , काजल की नही ।
मैं जीतता अवश्य हूँ , किसी से हारता नही ।
मैं पैर तेरे छूता हूँ , किसी औऱ के कभी नही ।
मैं रथ पे बैठता हूँ , गोद में तो कभी तो नही ।
मैं ललकारता हूँ शत्रू को , कभी प्यारता नही ।
मैं शत्रु को मरता हूँ , कभी भी छोड़ता नही ।
मैं कलेजा चीरता हूँ , कभी मीठे फल को नही ।
मैं जय ही जय करता हूँ , कभी पराजय नही ।
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