✴ ताले में कैद हैं , मेरी रचना ✴
✴ ताले में कैद हैं , मेरी रचना ✴
मेरी रचना कैद हैं ताले में , कई तो रख देते हैं आले में ।
उन्हें नही मालूम रचना का मूल्य , जो लिखे वो जाने ।
कई तो रख देते हैं , अलमारी के पीछे तोड़ मरोड़कर ।
कोई तो बिना पढ़े दाल देते हैं , जलते कचरे के ढेर में ।
तो फिर में कैसे विश्वास कर लू , दुसरो के कहन पर ।
कुछ पुस्तकालय में रखते हैं , गेट में दबकर-ठूसकर ।
रचना गंदी नही हो इसलिए रखता हूँ , ताले में कैद कर।
ऐसे मत सोचना पैसे कमाऊँगा रचनाओं को बेचकर ।
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" धन्यवाद "
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