✴ मैं था , तो अपना नही । पैसा था , तो सब अपना ।✴

✴ मैं था , तो अपना नही ।
      पैसा था , तो सब अपना ।✴

जब मैं फुर्सत था , तब सब व्यस्त थे ।
जब मैं व्यस्त हुआ , तो सब फुर्सत थे ।

जब मैं अकेला था , तो कोई मेरा नही था ।
मेरे साथ पैसा आया , तो हर कोई मेरा था ।

लोग रिश्ते मुझे नही , पैसे से निभा रहे थे ।
आज राज खुल गया ,बस मखन लगा रहे थे ।

तू इतिहास में तेरा नाम जरूर लिख जाना ।
क्योकि लोग की यादास्ता कमजोर हो गई हैं ।

जनाजा जलने के बाद , सब कुछ भूल जाते हैं ।
क्योकि पैसे से बने रिश्ते , धूल में मिल जाते हैं ।
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