मेरी सोच - 8

अच्छाई की खोज दूसरों में करो और बुराई की खोज स्वयं में करो ।
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 मन के दो प्रकार हैं , चेतन और अवचेतन ।
चेतन मन सिर्फ सोचता हैं और अवचेतन मन जो सोचता हैं , वह करता ही हैं उसे कोई नही रोक सकता ।
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चेतन मन का उदाहरण दुसरो का नाम , और अवचेतन मन का उदाहरण स्वयं का नाम ।
आप दूसरों का नाम भूल सकते हो , लेकिन स्वयं का नाम नही ।
क्योकि आपके नाम को आपने अवचेतन मन में सोचा , और दूसरों का नाम चेतन मन में सोचा था ।
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सफल लोग अपना लक्ष्य अवचेतन मन में सोचते हैं , असफल लोग अपना लक्ष्य चेतन मन में सोचते हैं ।
चेतन मन असफलता ही देगा ,  अवचेतन मन सिर्फ सफलता देगा ।
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अपने लक्ष्य को अवचेतन मन में भेजने के लिए एक ही नियम हैं ।
" मुझे 24 घंटे सिर्फ मेरा लक्ष्य दिखता हैं "
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जिस दिन आप ने लक्ष्य को अवचेतन मन में सोच लिया , उस दिन आपको सफल होने से आपको कोई नही रोक सकता हैं ।
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आपको मच्छर काट रहा हैं , आप मच्छर को जरूर मरोगे ।
जबकि आपको पता है , कि किसी की हत्या पाप हैं ।
लेकिन आपने मच्छर काटने की घटना को , अवचेतन मन में सोच लिया था ।
और जो आपने अवचेतन मन में सोच लिया , फिर तुम स्वयं भी स्वयं को नही रोक पाये ।
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