✍बाबा गड़बड़ दास की जीवनी✍
✍ बाबा गड़बड़ दास की जीवनी ✍
मैं इतना ज्ञानी नही हूँ , कि सादगी की मूरत का वर्णन कर सकूँ ।लेकिन फिर भी मैंने टूटी - फूटी सेवा की हैं , गलती हो तो क्षमा कीजियेगा - राहुल विश्वकर्मा
परिचय -
बाबा गड़बड़ दास जी भक्ति , शक्ति और शांति के प्रतीक थे । नागा सम्प्रदाय के बाल ब्रह्मचारी संत और पहलवान थे ।बाबा जी जैसे हनुमान भक्त मैंने आज तक कोई नही देखा और हाथ मे 8 किलो का चिमठा रखते थे उम्र 106 साल ,शरीर 6 फ़ीट का और 150 किलो वजन था ।12 साल वन में पेड़ पौेधे की पत्तियां , कंद और फल खाने का व्रत लिया था । रोज 5 लीटर दूध औऱ 1 लीटर नीम का रस पीते थे ।बाबजी बिना खड़ाऊ के काटो पर चलते थे , कुश्ती के बहुत शौकीन थे , इसलिये गड़बड़ दास नाम पढ़ा था । 2000 किलो वजन लेकर बाबा जी आराम से चल लेते थे ।बाबा जी को कितने भी पकवान दो , सब मिलाकर कहते थे ।जब बाबजी आते थे , तो आधा किलोमीटर दूर से ही पता लग जाता था । क्योंकि बाबा जी लकड़ी की खड़ाऊ पहनते थे । बाबजी जब शाम - सुबह मंदिर में शंखनाँद करते तो आसपास पाँच किलोमीटर तक आवाज़ गूंजती थी ।
चमत्कार -
1) गांव में दारू की दुकान खुल गई , तो जवान बच्चे बिगड़ रहे थे । गांव की औरतों ने बोला बाबजी कुछ भी करो ये दुकान बंद कराओ । बाबा जी ने ऐसा चमत्कार किया कि जो उस दुकान पर दारू पीने जाता , बहुत ही उल्टी करता था ।
15 दिन में दारू की दुकान बंद हो गई थी ।
2) एक आदमी पागल हो गया था , लोगो को पत्थर मार रहा था ।बाबजी पूजा पर बैठे थे , उठे और पागल के माथे में जो चिमठा मारा वो ठीक हो गया ओर बाबा जी का भक्त बन गया ।
3) बाबजी हनुमान जी का आश्रम बना रहे थे , जंगल मे लकड़ी लेने गए । तो वन अधिकारी आ गये और रोक दिया । बाबजी बोले बागवान का काम है , अधिकारी माने नही । बाबजी ने ताली बजाई और वैदिक मंत्र पढ़े , चारो तरफ से शेर आ गये । वन अधिकारी माफी मांगी और अधिकारियों ने लकड़ी काटकर बाबजी के आश्रम पर देने आये ।
4) बाबजी कही खाना खाने नही जाते थे , एक औरत अड़ गईं और बोली आपका आज निमंत्रण मेरे घर हैं । बाबा जी ने खाना सुरु किया तो औरत ने 7 बार आटा बना लिया था , बाबजी का पेट नही भरा और औरत ने माफी मांगी की मैंने जिद की थी ।
5) एक बहुत बडे पहलवान से बाबजी कुश्ती लड़ने मैदान में गये , उसकी गर्दन और पैर पकड़कर बोले हार गया कि चिर दू ।फिर बाबजी को 1 लाख इनाम मिला , जो बाबजी ने हारे हुए को दे दिया कि दूध पीना जा और बाद में वो पहलवान बाबा जी का भक्त बन गया था ।
6)किसी ने सब्जी मंडी में एक ग़रीब की प्याज की दुकान तंत्र से बांद दी थी , बाबजी ने ऐसा चमत्कार किया कि उस दिन के बाद उसके पास माल ही काम पड़ने लगे गया था ।
7) बाबजी एक बार जंगल में गये तो आग में 2 शेर के बच्चे मिले , बाबजी घर ले आये और उन्हें गाय का दूध पिलाकर बहुत ताकतवर बना दिये । दोनों शेर को साथ में रखते थे ।
एक बार इलाहबाद कुंभ में जा रहे थे , शेर साथ मे थे और बाबजी जिस ट्रैन के डिब्बे में बैठे वो शेर से डरकर खाली हो जाता था।
बाबजी उनके गुरु के पास गये , तो गुरुजी ने शेर देने को कहा। तो दोनों शेर रोने लगे गये , लेकिन बाबजी ने बोला गुरु की आज्ञा का पालन करना पड़ेगा । दोनों शेर की आज भी समाधि बनी हुई है ।
8)एक बार बाबजी और एक भक्त तीर्थ जा रहे थे , पैसे गुम गए । बाबजी का भक्त माफी मांगने लगा , क्योकि बाबजी का झोला भक्त के हाथ से गुमा था । बाबा जी ने कहा जा वहा खोद , तो जमीन से चांदी के सिक्के निकल रहे थे ।
बाबजी ने कहा जितने चाहिए ले लेना ।
9) गांव में एक दिन सर्प निकला , पूरे गांव में हड़कंप मच गई क्योकि सर्प लगभग 10-12 फ़ीट और मुछ वाला बहुत तगड़ा था । बाबजी सर्प के पास गये और बोले दूध लाओ । बाबजी ने सर्प के मस्तिष्क पर स्वस्तिक बनाया , दूध पिलाया और थाली में सर्प का झूठा थोड़ा दूध पीने लगे । सर्प ने थाली में फन मारी , फिर सर्प थाली से जहर खीच लिया और फिर बाबजी को पीने से नही रोका ।
10)बाबजी ने आश्रम में एक लकड़ी जमीन में गाड़ी हैं , जो 50 साल हो गये आज भी हैं । जबकि लकड़ी जमीन में 5-6 साल तक ही रहती हैं , फिर सड़ जाती हैं ।
11) बाबजी करीब 100 साल के थे , एक दिन बीमार हो गये । भक्त अस्पताल ले गये तो दवाई काम नही कर रही थी , क्योकि बाबा जी रोज नीम का कढा पीते थे । बाबजी ने डॉक्टर को कहा जहर का इंजेक्शन लगाओ , क्योकि जहर को जहर कटता हैं । डॉक्टर सोचा बाबा पागल हो गये , बाबा ने एक कागज पर लिखा मैं जहर का इंजेक्शन लगवा रहा हूँ । मेरी मौत का जिम्मेदार में रहूँगा । फिर डॉक्टर ने लगाया इंजेक्शन , बाबजी ठीक हो गये ।
12)गांव में एक छात्र 3 साल से परीक्षा में फैल हो रहा था , घर वालोे ने गुस्से में बोल जा बाबजी कुछ कर दे । बच्चा आया बाबजी को बोला घर वाले ने बोला जा , बाबजी ने बच्चे को पान में ब्राह्मी बूटी दी । अगले वर्ष वही बच्चा सभी विषय मे 100 में से 100 अंक लाया ।
मेरा औऱ बाबजी का मिलान -
मुझे बचपन से ही साधु संतों से मिलना बहुत भाता हैं ।मैंने बाबा गड़बड़ दास जी का नाम सुना था , लेकिन देखा नही था । मैं 9 वी कक्षा में पढ़ने मेरे गाँव के 10 किलोमीटर दुर रहता था । एक दिन शाम मेरे पिताजी बाबा जी को लेकर आये और बाबजी को मेरे पास छोड़कर कही काम से चले गये । फिर क्या था , मै तो ठहरा अध्यात्म का शौकीन बाबजी से प्रश्न पूछता गया और बाबजी के हाथ पैर भी दबा रहा हूँ । शाम 5 से 10 बज गए पता ही नही चला , उस दिन से वो मुझे बहुत प्यार करते थे । फिर मेरे घर आना जाना उनका लगा रहता था । एक बार मेरे घर पर बाबा हम सुब लोग भोजन कर रहे थे , मेरी माँ ने बाबजी को दाल - बाटी , चूरमा और हलवा , मिठाई दी ।बाबा जी ने सब कुछउएक साथ मिलाकर खा रहे थे । मेरी माँ ने पूछा भोजन कैसा है , बाबा बोले दाल में नमक नई डाला ।उन्होंने मुझे एक ही बात सिखाई " गुरु गूँगा , गुरु बावला " आपने जिसको भी गुरु बना लिया , फिर चाहे गुरु चोरी करता हो । गुरु की सेवा करो , आशीर्वाद लो ।
livepustak.blogspot.com
दुनिया मे बाबा गड़बड़ दास जी की जीवनी सिर्फ livepustak पर ही प्रथम प्रकाशित हुई हैं ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें