✍स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी✍
✍स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी✍
बचपन -
विवेक का आनंद लेने वाले स्वामी विवेकानंद जी थे , उनके मन में बचपन से ही ईश्वर को देखने की जिज्ञासा थी ।स्वामी जी ध्यान में इतने मगन हो जाते थे ,कि एक बार तो सर्प लिपट कर वापस चला गया फिर भी स्वामी जी ध्यान में थे ।एक बार स्कूल में मिस्टर हिस्ट्री पढ़ा रहे थे , कि समाधि की अर्थ एक ऐसी अवस्था जिसमे ईश्वर और साधक में कोई अंतर नही होता । स्वामी जी ने कहा गुरुजी ऐसा सच मे कोई हैं , कि सिर्फ कहानी हैं । मिस्टर हिस्ट्री बोले नरेंद्र हैं , दक्षिणेश्वर के पुजारी रामकृष्ण परमहंस । स्वामी जी डरते नही थे , बचपन मे बंदर की तरह पतली पेड़ की डाली पर छुआ -छुई का खेल खेलते थे ।स्वामी जी के दादाजी ने सोचा बच्चा कहि गिर ना जाये , बोले नरेंद्र उस पेड़ पर भूत रहता हैं ।स्वामी जी रात भर पेड़ पर ही बैठे रहे , और दूसरे दिन सुबह घर आकर बोलते माताजी को कि वहाँ तो कोई बहुत नही हैं ।स्वामी जी को स्कूल में गलत शब्द बोलते हुए , उनके पिताजी ने देख लिया । बोले ऐसी शिक्षा कोई काम की नही जिसमे बच्चे बिगड़े और बोले आज से नरेंद्र की पढ़ाई घर पर ही करवाई जयेगी । स्वामी जी हिस्ट्री की पुस्तक पढ़ रहे थे , उनके पिताजी के मित्र आगये । बोले नरेंद्र पढ़ रहा हैं , या सिर्फ पन्ने पलटा रहा हैं ।स्वामी जी ने कहा पूरी पुस्तक से जो पूछना पूछ लो , और उन्होंने जो पूछा स्वामीजी ने पेज नंबर के साथ जबाब दिया । स्वामी जी घर मे हुक्के को मुँह में ले रहे थे , तब उनके पिताजी आ जाते हैं । पिताजी बोलते हैं बिगड़ रहा हैं , स्वामी जी बोले नही मैं देख रहा हूँ , जात कैसे चली जाती हैं ।
जवानी -
स्वामी जी गुरु की खोज में घूम रहे थे , जहा जाते एक ही प्रश्न पूछते आपने ईश्वर को देखा है । सभी जगह ना ही मिला ओर एक योगी ने स्वामी जी को बोला , बेटा मैने तो नही देखा पर तुम्हारी आँखे योगी जैसी है तुम देख सकते हो । फिर रामकृष्ण परमहंस जी के पास पहुंचे तो बोले अपने ईश्वर को देखा हैं , रामकृष्ण परमहंस बोले देखा हैं और तुम्हे भी दिखा सकता हूँ । स्वामी जी को जब रामकृष्ण परमहंस जी ने साक्षात्कार तो तीन दिन तक बेहोस रहे । जब होश आया तो बोले प्रभु ,मुझे ऐसी जड़ी खिला दो जिससे मेरा ज्ञान नस्ट हो जाए । तब रामकृष्ण परमहंस जी ने कहा तुम नर रूपी नारायण हो , इस धरती पर सबका कल्याण करने आये हो । कुछ दिन बाद रामकृष्ण परमहंस जी को गले का कैंसर हो गया था , तो गले से हमेशा खून - मवाद गिरता रहता था । एक दिन रामकृष्ण परमहंस जी के पलंग के नीचे रखा कटोरा , खून - मवाद से भर गया । तो रामकृष्ण परमहंस जी ने एक शिष्य को बोला कटोरा भर गया फेक दीजिये , वो शिष्य खून -मवाद का कटोरा देख बात को टाल दी । स्वामी विवेकानंद जी कटोरा लेकर गए और पेड़ के पीछे छुपकर , खून - मवाद फेका नही पी गये । फिर रामकृष्ण परमहंस जी ने अंतिम समय बोलै मेरे पास जो था , मैंने तुझे सबकुछ दे दिया अब मे बर्बाद हो गया ।स्वामी जी बोले आप नही रहोगें , तो मैं मोक्ष के लिए हिमालय जा रहा हूँ । रामकृष्ण बोले तू हिमालय जाएगा तो लोगो का कल्याण को करेगा , दरिद्र नारायण की सेवा कर बस ।
िश्व यात्रा -
खेतड़ी महाराने बोला स्वामी जी हमने सुना आपको वेदांत में महारत हासिल है , तो फिर मेरे एक प्रश्न का उत्तर दीजिये ।राजा बोले आप मिट्टी की मूर्ति पूजा करते हो , मिट्टी में भगवान थोड़ी ना हैं ।स्वामी जी ने बोला दीवार पर लगी तस्वीर पर थुकिये , ऐसा नही हो सकता ये मेरे पिता जी की तस्वीर हैं । स्वामी जी बोले ये तस्वीर तो लकड़ी कागज की हैं , इसमे तुम्हरे पिता जी थोड़ी ना हैं । फिर स्वामी जी बोले राजा साहब जिस प्रकार आपके पिता जी लकड़ी की तस्वीर में है , उसी प्रकार मिट्टी की मूर्ति में भगवान हैं । राजा ने माफी मांगी और बोले स्वामी जी आप , विश्व धर्म सम्मेलन में जरूर जाओ । स्वामी जी के साथी , स्वामी जी को विश्व धर्म सम्मेलन में जाने के लिए सरकारी दफ्तर में जाने की इज़ाज़द माँगने गये । स्वामी जी को अधिकारी ने कहा आप अमेरिका जा रहे हैं , आपके पास पैसे तो है ही नही । स्वामी जी ने कहा हम धन से गरीब हो सकते हैं , लेकिन ज्ञान से नही । फिर अधिकारी बोला आप कौनसी जाती के है , स्वामी जी ने कहा सन्यासी का कोई परिचय पत्र नही होता हैं ।
अमेरिका भ्रमण -
स्वामी जी के पास जितने पैसे थे , जहाज किराये में खर्च हो गये । तो स्वामी जी भूखे पेट 5-10 दिन रहे , क्योकि पैसे किराये में खत्म हो गए थे । फिर विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी जी को जीरो शब्द बोलने का समय दिया गया , क्योकि वह 42000 विद्वान आये थे । स्वामी जी ने स्टेज पे जाकर बोला "अमेरिकी भाइयो और बहेनो " पूरा ऑडिटोरियम तालियों से गूँज उठा , ओर स्वामी जी के भाषण 15 दिन तक चले । इसके बाद तो स्वामी जी का अमीर में बहुत स्वागत सम्मान मिला , एक महिला ने तो बोल दिया स्वामी जी आप इतने खूबसूरत और ज्ञानी हो । आप मुझसे शादी कर लो जो अपना पुत्र होगा , वो कितना बुद्धिमान होगा । स्वामी जी ने हाथ जोड़कर कहा , माता जी आप मुझे अपना पुत्र मान लीजिय ज। अग्रेजो ने सोचा स्वामी जी को हराना हैं , उन्होंने स्वामी जी से पूछा स्वामी जी इस पेड़ की ऊँचाई कितनी है स्वामी जी ने कहा दुगने से आधी । स्वामी जी के भाषण से अमेरिका के लोग बहुत आकर्षित हुये , तो पुलिस ने स्वामी जी से कहा कुछ हुआ तो 6 महीने की जेल होगी । स्वामी जी ने कहा 12 महीने की नही हो सकती ।
अंग्रेजो ने स्वामी जी से पूछा आप कौनसे जानवर का दूध पीते हो , स्वामी जी ने कहा भेस का दूध । अंग्रेजो ने कहा आप तो गाय को पवित्र मानते हो , स्वामी जी ने कहा आपने जानवर का दूध कहा था । गाय हमारी माता हैं और माँ अमृत देती हैं , दूध नही ।
चमत्कार -
1) स्वामी विवेकानंद जी ने तीन भविष्यवाणी की थी ।
१.भारत 50 साल बाद आजाद हो जयेगा ?
२. भारत का सारा धन अंग्रेज लूट कर ले जयेंगे ?
३. जब दुनिया को पता चलेगा भारत जगद्गुरु हैं , तो सारा धन वापस लाकर देंगे ।
2) एक बार एक ग्वाले की गाये घूम गई , वो ढूंढते -ढूंढते समय जी के पास पहुँच गया । बोला आपने मेरी गाय को देखा , स्वामी जी ने ध्यान लगाया और रास्ता बता दिया ।
3) स्वामी जी ध्यान लगाकर बता देते थे , कितने बजे रहे है ।
4) स्वामी जी न कन्याकुमारी टापू पर 3 दिन भारत विषय मे चिंतन किया ओर काली देवी ने दर्शन दिए , तो स्वामी जी ने एक ही बात बोली कि चाहे में नरक में पड़ा रु लेकिन भारत जगद्गुरु बना रहना चाहिए ।
5) स्वामी विवेकानंद जी हिमालय यात्रा पर थे , एक आदमी ने स्वामी जी की तरफ देखकर बोला "हे शिव" जैसे उसे साक्षात शिव के दर्शन हो गए हो ।
6) स्वामी जी के माता जी को एक भविष्य वक्ता ने कहा था , कि शिव मंदिर में रोज पूजा करो महान पुत्र प्रापप्त होगा । एक दिन स्वाामी जी के माता जी भोलेनाथ की पूजा कर रही थी , तो शिवलिंग से एक प्रकाश निकला जो उनके गर्भ में गया ।
7)स्वामीजी अमेरिका में जिस घर रुके थे , वहाँ नज़दीक लाइब्रेरी थी । तो स्वामी जी ने उनके शिष्य को कम दे दिया, कि रोज 10-12 बुक लाना ओर जोो पढ़ ली वापस लाइब्रेरी दे आना । लाइब्रेरी मास्टर ने कहा पढ़ रहे हैं या ऐसे ही रोज ले जाते हो । शिष्य ने कहा स्वामी जी रोज 10-12 बुक पढ़ते हैं , लाइब्रेरी मास्टर नेे कहा कल उन्हें ही बुक लेने भेजना । स्वामीजी गये लाइब्रेरी मास्टर ने जो पूछा सबकुछ बता दिया , लाइब्रेरी मास्टर पाओ में पढ़ गया ।
8) स्वामी विवेकानंद जी के शरीर मे 40 बीमारी थी , उनको बीमारी का मंदिर कहा जाता था ।
9)स्वामी जी विदेश गये थे तो वहाँ किसी ने स्वामीजी के दूध में छुपकर 2 बूँद जहर डाल दिया , स्वामी जी ने कहा पूरा जहर डालो ओर पी गये ।
10) स्वामी जी के शरीर को जब जलाया गया , तो उनकी भुजा से वीर्य फुट कर निकला था ।
11)स्वामीजी ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी, कि मैं 39 वर्ष तक ही रुकूँगा ।
12 ) स्वामी जी चित्रकला परीक्षा में पहुचने में लेट हो गये , सभी ने चित्र बना लिए तब पहुँचे । शिक्षक ने पूछा चित्र बताओ नरेंद्र स्वामी जी ने एक पत्थर उठाया और दीवार पर एक गोला बनाया ओर बीच मे केंद्र बना दिया , बोले नाप लो । शिक्षक ने नापा तो गोले का केंद्र शत प्रतिशत सही था , स्वामी जी को पहला चित्रकला इनाम मिला ।
अनमोल विचार -
एक लक्ष्य बना लो , उसी को जियो । हमेशा उसी के बारे में सोचो , पढ़ो और समझो । उसे जीवन बना लो , यही सफलता का रहस्य हैं ।
उठो , जागो और तब तक ना रुको , जब तक मंजिल ना मिल जाये ।
घोड़े की नाल लगाने से सफलता नही मिलती , सफलता के लिए स्वयं के पैरों में घोड़े की नाल ठोकना पढ़ता हैं ।
रविन्द्र नाथ टैगोर ने कहा था भारत को समझना हैं , तो स्वामी विवेकानंद जी को पढ़ना पड़ेगा ।
और स्वामी विवेकानंद जी को समझना है तो स्वामी विवेकानंद जी को जन्म लेना पड़ेगा ।
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Swami Vivekanand ji
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