✍नाथ बाबा की जीवनी✍
✍नाथ बाबा की जीवनी✍
परिचय -
नाथ बाबा जी को सारंगी का जादूगर कहा जाता था ,बाबा नाथ सम्प्रदाय के संत थे । उनकी सारंगी वादन में इतनी कला थी , कोई भी सुन ले तो मंत्रमुग्ध होकर मोह जाता था । नाथ बाबा सारंगी तो बचपन से ही बजाते थे , लेकिन सिर्फ पेट पालन के लिए बजाते थे । एक दिन की घटना है , नाथ बाबा बावड़ी किनारे बैठे थे । एक लड़की आई और बोली बाबा , बावड़ी से पानी खिंच दो बाबजी ने पानी दे दिया । उस कन्या ने बोला आप सारंगी बजाते हैं , आपको सारंगी में लगाने की एक भबूती देती हूँ । इसको लगा के सारंगी बजाओगे तो , कोई भी आपसे मोहित हो जयेगा । उस दिन से नाथ बाबा की सारंगी ऐसी बजने लगी मानो " कृष्ण की बाँसुरी " !
चमत्कार -
1. नाथ बाबा जी और साथी राजस्थान गये थे , वहाँ पैसे खत्म हो गए । नाथ बाबा ने कहा कोई बड़ा महल देखो और महल के सामने धोती बिछा दो ।फिर नाथ बाबा ने सारंगी पे मोहिनी विद्या बजाई , महल से औरते पैसे फेकने लगी कपड़े पे ढेर लग गया । ऐसे किसी ने पुलिस को बता दिया कि कोई ढोंगी आया हैं , जो लोगो को लूट रहा है । पुलिस आई और नाथ बाबा को थाने ले गई , जेल का गेट लगते समय थानेदार बोला बाबा ये सारंगी दे । नाथ बाबा बोले ये सारंगी नही मिलेगी , थानेदार बोला ऐसा क्या है इस सारंगी में बाबा ने कहा ये जेल के गेट खुलवायेगी ।जेल में रात की 12 बजे नाथ बाबा ने जब राजा मोरधज की कथा बोली , तो थानेदार रोते हुए आये । गेट खोलकर नाथ बाबा से माफी मांगी , ये नाथ बाबा की कला थी ।
2. एक औरत का कँगन कुँए में गिर गया था , बाबजी ने एक धागा डाला तो कँगन धागे में आ गया ।
3.एक शादी में नाचने के लिए खूबसूरत ओरतो को लाया गया , नाथ बाबा भी एक चटाई पे बैठ गए । और सारंगी बजाई , सभी लोगो नाचती लड़कियों को छोड़कर बाबा जी को सुनने आगये । नाचने वाली लड़किया आई बोली बाबा जी माफ कर दो , ये नाथ बाबा की मोहनी सारंगी थी ।
4.नाथ बाबा गाँव मे आते थे , तो वो सारंगी से अपने मित्रों को आवाज़ लगते थे । कि आजाओ भाई में आगया हूँ ।
5.एक बार ओला वृष्टि होने वाली थी , बाबा को पता चल गया । बाबा ने कहा ओला वृष्टि होने वाली हैं , सभी गांव के किसान की फसल खड़ी हैं । आप सभी की फसल बचाना हैं , तो मैं ओला मेरे खेत मे बरसा लेता हूँ । ताकि मेरा एक का नुकसान होगा , सभी की फसल सुरक्षित बच जयेगी । ओर मुझे सभी गांव वाले मिलकर अनाज दे देना , गांव वालों ने नाथ बाबा की बात स्वीकार की थी । और नाथ बाबा ने स्वयं के खेत मे ओला का ढेर लगा दिया था ।
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